* नारी क्या है ? ********* – पुरुष का नारी के समान कोई मित्र नहीं है
फिर चाहे वो किसी भी रूप में क्यूँ न हो, माँ, बीबी, या दोस्त
संसार में नारी सबसे उत्तम फूल है जिसकी सुगंध और मनोहरता विचित्र है
– काव्य और प्रेम दोनों नारी- ह्रदय की संपत्ति है,
नर विजय का भूंखा होता है, और नारी समर्पण की पुरुष लूटना चाहता है, नारी लुट जाना.
– यदि संपूर्ण विश्व का राज्य भी मिले और नारी न हो तो
पुरुष भिक्षुक ही है, परन्तु अच्छे गुणवाली नारी भिक्षुक घर में हो तो वह राजा है.
– नारी प्रकृति की बेटी है, उस पर क्रोध न करो..
उसका ह्रदय कोमल है, उस पर विश्वास करो.
– नारी महान आघातों को क्षमा कर देती है,
लेकिन नहीं भूलती . नारी वादा नहीं करती परन्तु पुरुष के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देती है
संघर्स में आदमी अकेला होता है;
सफलता में दुनियां उसके साथ होती है;
जब-जब जग उस पर हँसा है;
तब-तब उसी ने इतिहास रचा है! ******नर की आन, .. बान, … शान, …और खान नारी ही है,
नारायणी के बिन नारायण की पहचान भी अधूरी है
नारी क्या है ?
जानिए 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व व महिमा
सावन स्पेशल: जानिए 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व व महिमा,
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“” भगवान शिव की भक्ति का महीना सावन शुरू हो चुका है। शिवमहापुराण के अनुसार एकमात्र भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं, जो निष्कल व सकल दोनों हैं। यही कारण है कि एकमात्र शिव का पूजन लिंग व मूर्ति दोनों रूपों में किया जाता है। भारत में 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं। इन सभी का अपना महत्व व महिमा है।
ऐसी मान्यता भी है कि सावन के महीने में यदि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए जाएं तो जन्म-जन्म के कष्ट दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि सावन के महीने में भारत के प्रमुख 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। आज हम आपको बता रहे हैं इन 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व व महिमा-“”
1- सोमनाथ
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चन्द्र देव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
2- मल्लिकार्जुन
यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं।
कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैनवासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
4- ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5- केदारनाथ
केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
6- भीमाशंकर
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
7- काशी विश्वनाथ
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
8- त्र्यंबकेश्वर
यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।
9- वैद्यनाथ
श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखंड राज्य (पूर्व में बिहार ) के देवघर जिला में पड़ता है।
10- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
12- धृष्णेश्वर मन्दिर
घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।
शहीद भगतसिंग सरदारचं होता….
टीप:- हा जोक वाचल्यानंतर
तुमची प्रतिक्रिया नक्की कळवा,
कदाचित दुसर्यावर जोक
करताना नक्की विचार कराल…
.
सरदारी विनोद…..
.
काही तरूण
मित्रमंडळी दिल्ली पाहण्यासाठी जातात,
स्टेशनवरून ते एक रिक्षा करतात,
त्या रिक्षाचा ड्रायव्हर एक
वयोवृद्ध सरदार होता…..
.
रिक्षातून जात
असता त्या सरदारला चिडविण्यसाठी,
त्रास देण्यासाठी व
फिरकी घेण्यासाठी ती तरूण
मित्रमंडळी ‘सरदार
लोकांच्या बुद्धूपणावर असलेले’
विनोद सांगू लागतात,
पण
तो सरदार न चिडता हसून त्यांचे
जोक्स ऐकत राहतो…..
.
दिल्ली फिरून
झाल्यावर स्टेशनवर आल्यावर ते
सरदाराला रिक्षाचं भाडं देतात,
तो ते घेतो मात्र त्या पैशातून
तो त्या मित्रांना प्रत्येकी एक-एक
रुपया देतो…..
.
एक मुलगा विचारतो,
” पापाजी,
आम्ही सकाळपासून सरदारांवर जोक्स
मारत होतो व हसत होतो,
तरीही आपण आम्हाला एक-एक
रुपया बक्षिस देता आहात ते का ???
.
सरदार म्हणतो,
” मुलांनो तुम्ही तरुण
आहात,
तुम्ही मस्ती नाही करायची तर
कोणी करायची ?
पण
मी तुम्हाला हा एक
रुपया अशासाठी देत आहे,
की तुम्ही जेव्हा आपल्या गावी जाल
तेव्हा तुम्हाला जो सरदार
रस्त्यामध्ये भीक मागताना दिसेल,
त्याला हा रुपया द्या…..
.
तरूण आपल्या गावी येऊन
आता दोन पेक्षा जास्त वर्षे
झाली आहेत,
पण
त्या मुलांच्या खिशात
अजूनही रुपायाचं ते नाणं पडून आहे…..
.
कारण भीक मागणारा सरदार
त्यांना अजूनही दिसलेला नाही,
तर आपणही सरदारावर जोक्स
मारण्याअगोदर हा विचार
करा,
की सरदार काहीही काम करेल,
गॅरेज खोलेल, ट्रक चालवेल,
ढाबा चालवेल पण भीक कधीचं
मांगणार नाही…..
.
देशाच्या लोकसंख्येच्या १.४%
लोकसंख्या असूनही देशाला मिळणा-
या टॅक्सच्या ३५% टॅक्स
सरदारांकडून येतो,
देशाच्या सैनिकांमधील
त्यांची संख्या ५००००पेक्षा जास्त
आहे,
त्यांच्या लंगरमध्ये
खाना खाण्यासाठी
येणा-यांची जात
व धर्म विचारला जात नाही…..
.
अल्पसंख्यांक असूनही सरदार आरक्षण
मागत नाहीत,
देश स्वातंत्र्याच्या आंदोलनात
त्यांनी आपली जास्तीत जास्त मुलं
कुर्बान केली आहेत,
आणि त्या बदल्यात
काहीच मागितलं नाही…..
.
इतर धर्मवाले त्यांच्याकडून
काही शिकतील का ?
निदान सरदारांवर जोक्स करण्या अगोदर
हा विचार मनात येऊ द्या…..
.
की देश
स्वातंत्र्यासाठी फाशीवर
जाणारा शहीद भगतसिंग सरदारचं
होता….
हाक वारीची आली,
आज आषाढी तथा भागवत एकादशी
सरुक्मिणी पांडुरंग परमात्म्याशी साष्टांग दंडवत !!!
सर्वाना हार्दिक शुभेच्छा !!!
एक काव्य सादर अर्पण ……
हाक वारीची आली, पावलं निघाली
वरसाची ताटातूट, जिवाला लागली
सोबती झाले गोळा, गळाभेट झाली
भारावली मनं, पालखी घेतली.
जनाई मुक्ताई, सोबत माऊली,
नामा तुकोबाची जोड, डोई तुळस ठेवली,
भाळी चंदनाचा टिळा, माळ गळ्यात घातली
केला विठूचा कल्लोळ, दिंडी पंढरी चालली.
टाळ मृदुंगाचा दंगा, हरी नामाचा गजर.
झुले पालखीची झूल, उते प्रेमाचा बहर.
अबिर गुलालाचा रंग, अभंगाचा जोर.
पाहाया पांडुरंग, मन जाहले अधिर.
चालू पंढरीची वाट, खेळू फुगडी रिंगण.
शेवट विसावा, चंद्रभागेचे अंगण.
नाम्याच्या पायरी, भक्तीचं लिंपण.
सावळ्या पाऊली, कैवल्य शिंपण.
हात जोडूनि मागतो, देवा विसर न व्हावा.
जन्म घडो पुन्हा पुन्हा, व्हावी वारीची सेवा.
पुढे परतुनी येऊ, आता निरोप असावा.
जनी विठ्ठल दिसावा, मनी विठ्ठल रुजावा.
🚩🚩🚩🚩
अग प्रिये एकदा कळू दे मला
तुझ्या डोळ्यात पाहिल्यावर काही सुचत नस्त मला..,
तू जवळ असताना सारख Hug कराव अस वाटत मला…
दूर असूनही मला तुझ्या जवळ राहायचंय..,
तुझ्या हृदयात माझ …फक्त माझ एक घर बनवायचंय…
तू फक्त हसतेस …काही न बोलतेस..,
माझा जीव जातोय..,, बोल ना अशी का वागतेस …??
अग प्रिये एकदा कळू दे मला..,
तू खरच प्रेम करतेस मला…??
प्रेमाच्या गाठी बांधताना मला घाई नाही करायचीये..,
आणि गाठ बांधल्यावर तुला कायमची माझी बनवायाचीये …”♥
♥
♥
From:-Yuvraj Patil
मिठीत यायच तर अशी ये.
मिठीत यायच तर अशी ये…………..
मिठीत यायच तर अशी ये
की दूजेपणाच भान सुटावं,
सुप्त मनाच्या वादल़ातुन
फ़क्त श्वासचं रान उठावं,
मिठीत यायच तर अशी ये
की मनानं मनात विरून जावं,
माझ्या श्वासानं जरा थांबून
तुझ्या श्वासात जगुन घ्यावं,
मिठीत यायच तर अशी ये
की क्षणांनीही स्तब्ध व्हावं,
खोल मनाच्या गाभाऱ्यातुन
आत्म्यानं मुक्त हुंकारावं …..
Happy Valentines’s Day !
आयुष्यात प्रत्येकाचं
कोणावर तरी मन जडतं,
‘प्रेम‘ हे असंच अबोल
नजरेतून न सांगता घडतं !
“Happy Valentines’s Day !”
– तेजस मोकाशी (स्वत:च्या लेखणीतून).
एकटाच मागे जळत होतो
तुझ्या भासांच्या मागे
एकटाच मी पळत होतो,
सर्व दिवे विझून गेले तरी
एकटाच मागे जळत होतो…!!!
– तेजस मोकाशी (स्वत:च्या लेखणीतून).
कवि मन
प्रत्येक माणसामध्ये
एक कवि
मन दडलेलं असतं
प्रत्येकाच्या आयुष्यात
काही ना काही घडलेलं असतं !!!
– तेजस मोकाशी.
का खंगले अशी मी?
होते तुझ्याचसाठी आधार प्रेम माझे
आता तुलाच करते बेजार प्रेम माझे!
का खंगले अशी मी? थकले उपाय सारे
कळले जरा उशीरा, आजार प्रेम माझे
मी लोचनात माझ्या रत्ने भरून आले
तुज वाटले तनाचा बाजार प्रेम माझे
म्हटले, विकून व्हावी सरणास सोय माझ्या
बाजारभाव म्हणतो, भंगार प्रेम माझे
अश्रू पिऊन हसणे शिकले हळूहळू मी
दु:खात वेदनेचा शृंगार प्रेम माझे
ना पेट घेत होती जेव्हा चिताच माझी
झाले अखेर ‘जीतू‘ अंगार प्रेम माझे
….रसप….
२९ जानेवारी २०१२
मैत्री म्हणजे
मैत्री म्हणजे,
कधी नितळ पाण्यावरील हळुवार तरंग
मैत्री म्हणजे,
कधी कधी स्वत:च पाण्यातील अंतरंग !!!
– तेजस मोकाशी (स्वत: लिखित).
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उत्सव तीन रंगाचा
उत्सव तीन रंगाचा
आभाळी आज सजला
नतमस्तक मी त्या सर्वांसाठी
ज्यांनी भारत देश घडविला
भारत देशाला मनाचा मुजरा
भारतीय राज्य घटनेचे शिल्पकार डॉक्टर .बाबासाहेब आंबेडकर यांना
विसरून चालणार नाही प्रजासत्ताक दिन चिरायू होवो !!!
तुझ्याविना तहानलेला
असला सागर पुढ्यात माझ्या
तुझ्याविना तहानलेला राहील,
अमावास्येच्या दिवशीही सखे
चंद्र तुझ्या डोळ्यांत पाहील…!!
– तेजस मोकाशी (स्वत:च्या लेखणीतून).
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रक्तच मराठी मराठी शिवाय जात लावत नाही
मरणाला घाबरणारे आम्ही नाही
नेहमी मरणच घाबरल हिम्मतीला मराठ्यांच्या
साक्ष आहे त्या सह्याद्रीच्या कड्यांची
जिथे घोट घेतला मराठ्यांनी शत्रूंच्या नरडीचा
संतांनी आमच्यावर संस्कार केले
शिवाजी राजांनी आम्हाला हिम्मत दिली
शंभूराजांनी शिकवला स्वाभिमान मराठ्याचा
जिजावूंनी पाजले बाळकडू वीरपुत्र घडवण्याचे
जीवावर उदार झाले मावळे मराठी मातीसाठी
रक्ताचा अभिषेक केला राजांनी स्वराज्यासाठी
शूरांचा इतिहास आमचा उगाच बडाया मारत नाही
मराठी आम्ही, रक्तच मराठी मराठीशिवाय जात लावत नाही
वेळ आला तर प्राण देवू पण स्वाभिमान आमचा झुकत नाही
सह्याद्रीपुत्र आम्ही उगाच कुणाच्या वाटेला जात नाही
आलाच जर कोणी आडवा उभा चीरल्याशिवाय सोडत नाही‘
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नशीब माझं मी शोधतोय
नशीब माझं मी शोधतोय
हातावरच्या रेषा पाहून…
जीवन प्रकाशमान करतोय
अंधाऱ्या झोपडीत राहून…!!
– तेजस मोकाशी (स्वत:च्या लेखणीतून).
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ते भासच होते सगळे…!
निघालो जरी सोबत
परी रस्तेच अपुले वेगळे
जगलो ज्या विश्वात
ते भासच होते सगळे…!
– तेजस मोकाशी (स्वत:च्या लेखणीतून).
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ढग भरल्या आभाळातून
ढग भरल्या आभाळातून
पाउस पडो न पडो
त्याना ह्याचे काहीच घेणे देणे नसते
ह्यांच्या नळाला पाणी येतेय
तेवढेच त्याना पुरे असते …
शेतकर्याचे काय झाले ..?
शेतमजुरांचे काय झाले …??
कसा देशोधडीला लागलाय
ह्याना न काही घेणे देणे असते
दुष्काळी कामासाठी
ह्यांची सोय होतेय
तेवढेच त्यांना पुरे असते
कशी पोटासाठी येतात दुष्काळी प्रदेशातून
ही अर्धपोटी माणसे
कशी हवालदिल होऊन जातात
ही माणसे
ही पोरे ,ह्या बायका
दुष्काळी कामासाठी दीड दमडीने विकली जातात
कशी बळी पडते ह्या दुष्काळी भागातील
एखादी स्त्री
एखादी पोर ….
कधीतरी ह्यांचे बिंग फुटते, नाही असे नाही
पण हे पक्के बिलंदर असतात
हे अलगद नामानिराळे होतात
किती कनवाळू असतात ही मोठी माणसे
ह्याना घरात काम देऊन ह्यांच्या पोटाची
काळजी घेत असतात
महान महान म्हणवून ही घेत असतात
हे गेल्यावर ह्यांचे पुतळे उभारण्यास
हीच मंडळी घाम गाळीत असतात
ढग भरल्या आभाळातून
पाउस पडो न पडो
त्याना ह्याचे काहीच घेणे देणे नसते
ह्यांच्या नळाला पाणी येतेय
तेवढेच त्याना पुरे असते ..!
परत लहान व्हायचे आहे मला
आईचा कुरवाळणारा स्पर्श,
बाबांबरोबर शाळेत जाताना मिळणारा हर्ष..
परत लहान व्हायचे आहे मला,
आई बाबांच्या प्रेमात नहायचे आहे मला!
बहुला-बाहुलीचं लग्न,
भातुकलीच्या खेळात तासन्-तास् मग्न..
परत लहान व्हायचे आहे मला,
आई झोपली असताना खाऊ पळवायचा आहे मला!
मामा-मामी च्या रम्या गावी,
सगळे लाड पुरविणारे आजोबा-आजी..
परत लहान व्हायचे आहे मला,
ए राजी , ए हौशी करत बैलगाडीतून चक्कार मारायची आहे मला!
धाडसी शिवाजी महाराजांच्या गोष्टी,
आजोबांकडून ऐकायच्या आहेत उन्हाळ्याच्या सुट्टीत..
परत लहान व्हायचे आहे मला,
गर्क होऊन अनेक गोष्टी ऐकायच्या आहेत मला!
नाचत खेळत वाहणारं नदीचं पाणी,
इवलेसे सगळे जण .. प्रत्येकाच्या आंघोळी..
परत लहान व्हयाचे आहे मला,
आजीला पूजे साठी घागर आणून द्यायची आहे मला!
आकाश्यात लुक लुक करणारे असंख्य तारे,
मध्या रात्रीचे ते मंद, हळूवार वारे..
परत लहान व्हयाचे आहे मला,
मोठी झाले की डॉक्टर होण्याची स्वप्न पाहायची आहेत मला!
नवीन वर्ष .. नवीन उल्हास,
नवीन गणावेश , नवीन वह्या -पुस्तकांचा वास..
परत लहान व्हायचे आहे मला,
परत शिस्तीत शाळेत जायच आहे मला!
आल्लड ते बालपण आता नाहीसे झाले,
आयुष्यातील सगळ्यात सुंदर आठवणी मात्र ठेऊन गेले..
परत लहान होता येणार नाही मला,
परत लहान होता येणार नाही मला!!
आयुष्याने किती खोल दुःख द्यावे
कशी आयुष्याची माझ्या गेली उसवत वीण
आता जगणे झाले रे किती कठीण कठीण
.
रोज सुटेल म्हणते माझ्या आयुष्याचा गुंता
वात विझेल थोडेसे तेल टाक भगवंता
तुला रडवून वाटे कसे भूषण भूषण
.
किती सहन करावे किती कडू घोट प्यावे
एखाद्याला आयुष्याने किती खोल दुःख द्यावे
असे जगणे नको रे बरे मरण मरण
.
आता समुद्राची कुशी बोलवते आहे मला
त्याच्या कुशीत झोपून शांत वाटेल जीवाला
नशिबात कदाचित आहे विझण विझण
.
.
तुषार जोशी, नागपूर
+91 98222 20365
वयाच्या सत्तरीत सुध्धा प्रेयसीवर निरपेक्ष पणे प्रेम
एक नितांत सुंदर प्रेम कहाणी
♥♥♥♥♥♥
रोज सकाळी बरोबर आठ वाजता मि. जॉनमाझ्या स्टोअरमधे येतात. ते न चुकता रोज गुलाबाची ताजी फुले वीकत घेतात. तसेच माझ्या स्टोअरमधे मीळणारे काही मोजकेच पण ताजे खाद्य पदार्थ वीकत घेतात. बरोबर साडे आठ वाजता स्टोअरमधुन बाहेर पडतात. गेली पांच वर्षे त्यांचा हा उपक्रम चालु आहे. उन असो, पाऊस असो, वारा असो, थंडी असो, बर्फ असो, त्यांच्या या प्रोग्रॅम मधे खंड पडलेला नाही. मधे त्यांची तब्येतबरी नव्हती तरी सुध्धा ते नीयमीतपणे येत होते. ते रोज गुलाबाची फुले घेतात म्हणजे नक्कीच आपल्या बायकोसाठी घेत असणार! त्यांचे त्यांच्या बायकोवर फारच प्रेम दीसते!
एक दीवशी जरा मोकळा वेळ होता तेव्हा मी जॉन साहेबांशी संवाद साधायचा प्रयत्न केला. तसे ते फार मीतभाषी. कधी कोणाशी फारसे बोलत नाहीत. पण त्यांचा मुड पण जरा वेगळा दीसत होता.
” फुले कोणासाठी? बायकोसाठी वाटत!” मी प्रश्न केला
” बायको?” जॉनसाहेब क्षणभर गोंधळले व म्हणाले, ” नाही! मी अनमॅरीड आहे!“
“मघ ही फुले?” मी विचारले
” ती माझ्या मैत्रिणीसाठी!” जॉनसाहेब उत्तरले.
“मैत्रीण?” मी जरा खोचकसारखे विचारले.
” शाळेमधे असताना आमचे प्रेम प्रकरण होते. पण त्याला बरीच वर्षे झाली. मग तिचे लग्न झाले आणि मी अनमॅरीड राहिलो.” सहज सांगावे तसे जॉनसाहबांनी सांगीतले.
“तुमची मैत्रीण इथेच असते कां?” मी विचारले
“हो इथेच असते, हॉस्पीटलमधे!” जॉनसाहेब म्हणाले.
“हॉस्पीटलमधे?” मी म्हणालो.
“होय! गेली दहा वर्षे ती हॉस्पीटलमधे आहे. कार ऍक्सीडेन्टमधे तिचा नवरा गेला. तिच्या डोक्याला जबरदस्त मार लागला. त्यामुळे ती स्मृती हरवुनबसली आहे. कोणाला ओळखत सुध्धा नाही. मी रोज सकाळी बरोबर नऊ वाजता तिच्याबरोबर ब्रेकफास्ट घेतो.” जॉनसाहेब म्हणाले
” पण ती तुम्हाला तरी ओळखते कां?”मी जॉनसाहेबांना विचारले
“बहुतकरुन नसावी!” जॉनसाहेब म्हणाले. “तिला एव्हडेच ठाऊक आहे की रोज सकाळी नऊ वाजता कोणीतरी एक माणुस तिच्याबरोबर ब्रेकफास्ट घ्यायला येतो. याची तिला येव्हडी सवय झाली आहे की जर एखाद्या दीवशी मी गेलो नाही तर ती दीवसभर उपाशी बसते.“
जॉनसाहेबांच्या सामानाची पीशवी त्यांच्या हातात देताना मी त्यांना विचारले, ” पण तिचे तुमच्यावर प्रेम आहे कां?”
“ठाऊक नाही!” सामानाची पीशवी उचलताना जॉन साहेब म्हणाले, “पण माझे तिच्यावर प्रेम आहे ना!“
वयाच्या सत्तरीत सुध्धा आपल्या प्रेयसीवर निरपेक्षपणे प्रेम करणार्याल जॉनसाहेबांना बघुन माझे डोळे भरुन आले. माझे आश्रृ आनंदाचे होते, कृतज्ञतेचे होते की आणखी कशाचे होते माझी मलाच कळले नाही.
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